श्री गणेश आरती
गणेश आरती ऑडियो
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जो कोई जन ध्यान धरे, मनवांछित फल पावे॥
अब की बेर मोहे पार उतारो, माता जी की दोहाई॥
करत आरती आरती, तेरी जय जय जय गणराज की॥
माता तेरी गौरी, पिता महादेवा॥
माथे तिलक सोहै, मूसे की सवारी॥
सिद्धि विनायक सुखकारी, विघ्न विनाश हारे॥
विघ्न विनाशक सुख दाता, दया करो अब मेरी॥

आरती का महत्व
- बुधवार को विशेष लाभ
- विघ्न विनाशक
- बुद्धि प्रदाता
- मंगलकारी
- सर्व सिद्धि दाता
श्री गणेश आरती का महत्व
आरती का समय
प्रातः काल (सूर्योदय से पहले)
सायंकाल (सूर्यास्त के समय)
बुधवार को विशेष महत्व
आरती सामग्री
कपूर, दीप, अगरबत्ती
पुष्प, रोली, अक्षत
नैवेद्य (मोदक, लड्डू)
विशेष फल
बुद्धि विकास, विघ्न नाश
मनोकामना पूर्ति
सर्व कार्य सिद्धि
विधि
स्नान के पश्चात
पवित्र मन से
श्रद्धा भाव से
गणेश आरती का वैज्ञानिक महत्व
गणेश आरती का पाठ मन को एकाग्र करने में सहायक होता है। आरती के समय कपूर और दीप से निकलने वाली ज्योति वातावरण को शुद्ध करती है। घंटी की ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
गणेश जी बुद्धि के देवता हैं। उनकी आरती करने से बुद्धि का विकास होता है और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। आरती के दौरान किया जाने वाला ध्यान मानसिक शांति प्रदान करता है।
आध्यात्मिक लाभ
- आत्मिक शांति की प्राप्ति
- मानसिक शक्ति में वृद्धि
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार
- जीवन में सफलता
विशेष अवसर
- गणेश चतुर्थी
- संकष्टी चतुर्थी
- विनायक चतुर्थी
- बुधवार व्रत